लापरवाह और बेपरवाह बनता जा रहा महानगर इन्दौर, इन दिनों ई-रिक्शा के कहर से भी अछूता नहीं है। जहाँ मर्ज़ी ई-रिक्शा रोकी और सवारी बैठाना-उतारना शुरू, जहाँ मर्ज़ी वहाँ पार्किंग। ऐसे में आलम यह है कि शहर की सुचारू बन रही यातायात व्यवस्थाओं में भी यह ई-रिक्शा मुसीबत बनती जा रही हैं।
बीते दिनों तो इन्दौर शहर में ई-रिक्शा की बैटरी फटने से दो लोगों की मौत हो गई। मामला विजय नगर क्षेत्र का है, जिसमें ई-रिक्शा की बैटरी फटने से झुलसी 60 वर्षीय रामकुंवर बाई पति नाथूसिंह के इलाज के दौरान बुधवार सुबह मौत हो गई। इसी हादसे में झुलसी उनकी बेटी पवित्रा की सोमवार को मौत हो गई थी। दोनों का एमवाय अस्पताल में इलाज चल रहा था। ई-रिक्शा चालक भी इस दुर्घटना में झुलसा है, जिसका इलाज चल रहा है। उसके ख़िलाफ़ पुलिस ने मामला भी दर्ज कर लिया है।
ई-रिक्शा निश्चित रूप से सस्ते और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अच्छा माध्यम हो सकते हैं किन्तु अव्यवस्था और मनमानी के चलते हादसों के कारण भी बनते जा रहे हैं। ऐसे कई मामले हैं जिसमें ई-रिक्शा से यात्रियों की जान जोखिम में डालना, यातायात नियमों का उल्लंघन, और दुर्घटनाएँ शामिल हैं, जैसे कि एक ई-रिक्शा में बहुत ज़्यादा लोगों का बैठना, बैटरी फटने से आग लगना, और अन्य वाहनों से टक्कर। ये घटनाएँ लापरवाही, सुरक्षा नियमों की अनदेखी और कभी-कभी जानबूझकर ख़तरे पैदा करने का परिणाम हैं।
ये बेलगाम ई-रिक्शा संचालक यात्रियों की क्षमता से ज़्यादा लोगों को उसमें बैठा लेते हैं, और इससे यात्रियों की जान जोखिम में डाल देते हैं। ई-रिक्शा का अन्य वाहनों से टकराना और दुर्घटनाओं का कारण बनना भी शामिल है, जिसमें कई मौतें भी हुई हैं।
शहर की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना है तो इन ई-रिक्शाओं को नियंत्रित और नियमानुसार संचालित करना होगा, भीड़ वाले क्षेत्र जैसे राजवाड़ा, रीगल, पलासिया चौराहा, मधुमिलन क्षेत्र, विजय नगर, रसोमा चौराहा सहित लालबाग चौराहा, महूनाका, अन्नपूर्णा क्षेत्र इत्यादि में इन ई-रिक्शाओं के कहर से यातायात व्यवस्था भी बिगड़ रही है और यात्रियों की जान का संकट भी खड़ा है।
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
पत्रकार एवं हिन्दीयोद्धा,
इन्दौर


