




आप मातृभाषा उन्नयन संस्थान के माध्यम से 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर अन्य भाषा से हिन्दी में बदलवा चुके हैं। आप देशभर में सबसे सक्रिय हिन्दी आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।
आपने, जब तक हिन्दी राष्ट्रभाषा नहीं बनती, तब तक मिठाई न खाने का संकल्प भी लिया है। डॉ. अर्पण जैन देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए कार्यरत हैं।

वर्ष 2007 से पत्रकार के रूप में कार्य आरम्भ करने वाले डॉ. अर्पण ने कई पत्र-पत्रिकाओं में सेवाएँ दी हैं, साथ ही, देश के कई चैनलों में भी कार्य किया है।
आप वर्ष 2014 से ख़बर हलचल न्यूज़ के प्रधान सम्पादक हैं। साथ ही, साहित्य पत्रकारिता के क्षेत्र में 'साहित्य ग्राम' का सम्पादन भी कर रहे हैं।
इसके अलावा मातृभाषा डॉट कॉम, केएनआई न्यूज़, अध्यात्म ग्राम का सम्पादन भी करते हैं। बतौर पत्रकार डॉ. अर्पण जैन की एक अलग पहचान है।

शासकीय, गैर शासकीय पत्रिकाएँ, कई समाचार पत्रों में नियमित लेखन करते हैं। डॉ. अर्पण जैन कविताएँ, लघुकथा, व्यंग्य, रिपोतार्ज, आलेख, निबंध के साथ-साथ बाल सुलभ कविताएँ भी लिखते हैं।
आपकी 15 से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। यहाँ तक कि आपकी कई किताबें अमेज़न इत्यादि की बेस्ट सेलर सूची में भी शामिल रहीं। बतौर लेखक कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी आप सम्मानित हो चुके हैं।

एलएनसीटी से अपनी इंजीनियरिंग करने के बाद कई मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर इंजीनियर नौकरी भी की। वेब डेवलपमेंट, मोबाइल एप्लीकेशन डेवलपमेंट के साथ-साथ बैंकिंग एवं फ़ाइनेंस डोमेन के सॉफ्टवेयर बनाने में महारथ हासिल है।
300 से अधिक वेबसाइट का निर्माण, 20 से अधिक बैंक के सॉफ्टवेयर बनाने वाले डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' पेशे से इंजीनियर हैं। वर्ष 2010 तक नौकरी करने के बाद स्वयं की सॉफ्टवेयर कम्पनी 'सेंस टेक्नोलॉजीस' प्रारंभ कर आप हज़ारों ग्राहकों को आज भी सेवाएँ दे रहे हैं।

वैसे आपका परिवार व्यापार-उद्यम से ही संबद्ध है। SANS Technologies ने व्यापार में कई आयाम स्थापित किए, देश ही नहीं अपितु वैश्विक स्तर पर व्यापार पहुँचाया।
साथ-साथ आप मीडिया उद्योग, रियल एस्टेट और रिटेल इंडस्ट्री में भी कार्य करते हैं। आपकी कंपनी सेंस बिल्डर्स एवं सप्लायर्स बिल्डिंग, सड़क निर्माण इत्यादि का कार्य भी बख़ूबी करती है। उद्यम के क्षेत्र में इण्डिया मार्ट द्वारा 2014 में 'Leader's of Tomorrow' अवॉर्ड भी आपको प्राप्त हुआ है।


डॉ.अर्पण जैन 'अविचल' परिचय

परिचय
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं।
साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की।
उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं।
साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।
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सार्वजनिक जीवन
सार्वजनिक जीवन के ढाई दशक
छात्र संघ अध्यक्ष से राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की यात्रा
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छात्र संघ अध्यक्ष से राष्ट्रीय अध्यक्ष तक का सफ़र
छात्रसंघ चुनावों से निकला व्यक्ति
बाल्यकाल में मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील में श्री वर्धमान जैन हाई स्कूल में अध्ययन के दौरान छात्रसंघ चुनाव में सहभागिता करते हुए अर्पण जैन वर्ष 2002 में छात्रसंघ सचिव और फिर वर्ष 2004 छात्र संघ अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इसी के साथ, अर्पण के सार्वजानिक जीवन की यात्रा का आरंभ हुआ।
भारतीय हिन्दू सेना के प्रदेश संगठन मंत्री
मुंबई निवासी चितरंजन दास शर्मा जी द्वारा स्थापित भारतीय हिन्दू सेना के प्रदेश संगठन मंत्री का दायित्व वर्ष 2013 में अर्पण जैन ने निर्वाह किया, इस दौरान प्रदेशभर में हिन्दू जागरण का कार्य किया। साथ ही, ओम्कारेश्वर तीर्थ में विराट नर्मदा आरती के आयोजन में महत्ती भूमिका निभाई। प्रदेश के जिला एवं संभागीय स्तर पर हिन्दुत्व सम्मेलन, धर्म जागरण इत्यादि कार्य किए।
मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार परिषद् के संभागीय सचिव
वर्ष 2014 में जबलपुर निवासी वरिष्ठ पत्रकार परमानन्द तिवारी एवं नलिनकांत वाजपेयी के नेतृत्व में संचालित मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार परिषद् का इंदौर संभाग सचिव का दायित्व अर्पण जैन ने संभाला, साथ ही, इसी दौरान संभाग के कई जिलों में पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर आंदोलन इत्यादि किए।
राष्ट्रीय मानव अधिकार परिषद् महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
मानव अधिकारों के संरक्षण और जागरण के लिए कार्यरत संस्था में सबसे पहले मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभाला, उस दौरान लगातार जनजागरण, रैली इत्यादि गतिविधियों के माध्यम से हज़ारों लोग जोड़े, तत्पश्चात् राष्ट्रीय नेतृत्व ने अर्पण जैन को वर्ष 2015 में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोनीत किया।
पत्रकार संचार परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष
वर्ष 2014-15 में स्थापित भारतीय पत्रकारों के राष्ट्रव्यापी संगठन पत्रकार संचार परिषद् के बतौर संस्थापक अध्यक्ष 3 वर्षों तक नेतृत्व अर्पण जैन ‘अविचल’ ने किया। पत्रकार सुरक्षा कानून की माँग को लेकर देशभर में एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया, जिससे लगभग 50000 से अधिक पत्रकार जुड़े और तत्कालीन सरकारों तक अपनी आवाज़ पहुँचाई।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष
हिन्दी भाषा के सम्मान और उसे भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2016 से मातृभाषा डॉट कॉम व वर्ष 2018 में मातृभाषा उन्नयन संस्थान का निर्माण कर डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने देश के सबसे सक्रिय हिन्दी आंदोलन का सूत्रपात किया। वर्तमान में 30 लाख से अधिक लोगों ने अपने हस्ताक्षर अन्य भाषा से हिन्दी में बदले हैं।
जीवन यात्रा

29 अप्रैल 1989 को कुक्षी में जन्म
डॉ. अर्पण जैन का जन्म 1989 में कुक्षी के एक सम्पन्न जैन परिवार में श्रीमती शोभा और श्री सुरेश जैन के यहाँ हुआ। आपकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा कुक्षी में ही हुई। स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् महाविद्यालयीन शिक्षा के लिए अर्पण इन्दौर आ गए।
बचपन में बाल स्वयंसेवक के रूप में सरस्वती शिशु मंदिर, श्री वर्धमान जैन हाई स्कूल एवं शासकीय बालक उच्चतर माध्यम विद्यालय में संघ संस्कारों के साथ अध्ययन रत रहे। राष्ट्रभक्तों की जीवनियों से प्रेरित अर्पण भी मातृभूमि की सेवा करने और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने का स्वप्र देखते रहे।
उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की।
डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।

संघ की शाखा में गढ़ा बाल स्वयंसेवक अर्पण
छात्र जीवन में कक्षा 5 से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाना और नमस्ते सदा वत्सले की भावभूमि पर जीवन का बोध तय करने वाले अर्पण जैन गृहक्षेत्र कुक्षी से ही संघ संस्कारों में पल्लवित और पोषित हुए।
परिणाम स्वरूप बाद के वर्षों में श्रद्धेय नवलकिशोर जी शर्मा के नेतृत्व में भोजशाला मुक्ति मोर्चा इत्यादि संघकार्य में सक्रिय रहे।
प्रारंभिक अध्ययन सरस्वती शिशु मंदिर कुक्षी में हुआ, तत्पश्चात् संघ शाखा में अर्पण को तराशने का काम शाखा के मुख्य शिक्षक करते रहे।
वर्तमान में भी संघनिष्ठ स्वयंसेवक रहकर कार्यरत हैं।

छात्रसंघ चुनाव में सक्रियता के साथ पहली बार सचिव निर्वाचित
पारिवारिक पृष्टभूमि राजनीति की होने से विद्यालयीन जीवन से ही छात्र राजनीति का संस्कार मिल गया और श्री वर्धमान जैन हाई स्कूल में हुए छात्रसंघ चुनाव में सक्रियता दर्शाते हुए पहली बार छात्र संघ सचिव निर्वाचित हुए, अर्पण इसके बाद छात्र हितैषी आवाज़ बन गए।
छात्रों के बीच मिलनसारिता ने अर्पण को तात्कालिक राजनैतिक व्यक्तित्व के भी बहुत क़रीब कर दिया।
चूँकि आपके दादा बाबूलाल जी तांतेड़ वरिष्ठ राजनैतिक व सामाजिक व्यक्तित्व रहे हैं, इसका सीधा असर अर्पण पर पड़ा और वाक् कला में दक्षता ने विभिन्न भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं इत्यादि में भी अर्पण को सफलता दिलाई।

जैन स्कूल में छात्रसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए
छात्र राजनीति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता बन विभिन्न संगठनात्मक गतिविधियों में सहभागी बने। साथ ही, श्री वर्धमान जैन हाई स्कूल के छात्रसंघ चुनाव में सहभाग कर छात्र संघ अध्यक्ष के लिए अर्पण जैन निर्वाचित हुए। इसी के साथ, संघ संस्कारों के कारण विद्यालय स्तर पर बहुत से आयोजन कुशलतापूर्वक आयोजित किए।

राष्ट्रहित में चुना पत्रकारिता का मार्ग
पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्र सेवा का निर्णय लेते हुए अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही पत्रकार बनकर समाज की पीड़ा को सत्ता के केंद्र तक पहुँचाने का मार्ग अर्पण ने चुना। दैनिक दोपहर का सामना से अपने पत्रकारीय जीवन का आरम्भ करने वाले अर्पण बाद में कई पत्र-पत्रिकाओं में अपनी सेवा देते रहे, यहाँ तक कि कई दैनिक अख़बारों व चैनलों में बतौर संपादक कार्य किया।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ आरम्भ कर दी सॉफ्टवेयर कम्पनी
कम्प्यूटर साइंस विषय से अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) का अध्ययन करने के साथ ही, 11 जनवरी 2010 को सॉफ्टवेयर कम्पनी 'सेन्स टेक्नोलॉजीस' शुरू कर दी और देश ही नहीं अपितु विदेशी ग्राहकों के साथ कार्य आरम्भ किया। "होनहार बिरवान के होत चिकने पात" लोकोक्ति को चरितार्थ करते हुए सेन्स टेक्नोलॉजीस ने कई सॉफ्टवेयर का निर्माण किया, जिसने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भारत को गौरवान्वित किया।

ख़बर हलचल न्यूज़ का शुभारम्भ
अर्पण जैन में पत्रकारिता के प्रति समर्पण होने के साथ-साथ नई तकनीकी में दक्षता भी रही, इसी जुनून ने 17 जनवरी 2014 को अर्पण ने वेब चैनल 'ख़बर हलचल न्यूज़' प्रारम्भ किया। नई तकनीक व पत्रकारिता में आवारा पूँजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से इस चैनल ने कई क्रान्तिकारी कार्य किया, सैंकड़ों पत्रकार इसी माध्यम से जुड़ते गए। वर्तमान में भी सक्रियता के साथ देश के कई हिस्सों में लोकप्रियता के प्रतिमान गढ़ चुका है। विभिन्न चुनावों का कवरेज, किसानहित में उद्योगपतियों के साथ सीधी लड़ाई, राष्ट्रहित में सक्रियता से कार्य यही ख़बर हलचल न्यूज़ की पहचान रही।

हिन्दी के रचनाकारों के लिए आरम्भ किया मातृभाषा.कॉम
हिन्दी के रचनाकारों के सृजन को इंटरनेट पर स्थायी रखने और लाखों पाठकों तक सहज रूप से उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से अर्पण जैन ने मातृभाषा.कॉम का आरम्भ 11 नवम्बर 2016 को इंदौर से किया। प्रारंभिक दौर में कुछ 50-100 रचनाकार जुड़े किन्तु थोड़े ही समय में हज़ारों रचनाकारों और लाखों पाठकों की पहली पसंद बनकर यह वेबसाइट उभरी। वेबसाइट पर 22 से अधिक विधाओं व 45 से अधिक श्रेणियों में लेखन पढ़ा जा सकता है। इसे कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए हैं।

मातृभाषा उन्नयन संस्थान स्थापना एवं संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'
हिन्दी भाषा के सम्मान, स्वाभिमान और उसे भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में मातृभाषा उन्नयन संस्थान का निर्माण कर डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' ने देश के सबसे सक्रिय हिन्दी आंदोलन का सूत्रपात किया। वर्तमान में 30 लाख से अधिक लोगों ने अपने हस्ताक्षर अन्य भाषा से हिन्दी में बदले हैं। इस आंदोलन के माध्यम से हज़ारों हिन्दीयोद्धाओं का देशभर से जोड़ा जा रहा है। इसके संरक्षक कीतिशेष डॉ. वेदप्रताप वैदिक, कीर्तिशेष अहद प्रकाश जी व वर्तमान में अज्ञेय के चौथा सप्तक के कवि राजकुमार कुम्भज हैं।

हस्ताक्षर बदलो अभियान के माध्यम से बनाया विश्व कीर्तिमान
मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' के नेतृत्व में राष्ट्रव्यापी ‘हस्ताक्षर बदलो अभियान’ संचालित किया जा रहा है, जिसमें वर्तमान में लगभग 30 लाख से अधिक लोगों द्वारा मय प्रतिज्ञा पत्र के द्वारा हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रतिज्ञा ली गई है। इन्हीं लाखों लोगों के अवदान के कारण 11 जनवरी वर्ष 2020 को विश्व पुस्तक मेला 2020 नई दिल्ली में संस्थान को विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इस कीर्तिमान को डॉ. अर्पण जैन व संरक्षक डॉ. वेदप्रताप वैदिक जी ने ग्रहण किया।

वर्ष 2020 का अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मातृभाषा डॉट कॉम के संस्थापक-सम्पादक डॉ. अर्पण जैन ’अविचल’ को रवीन्द्र भवन, भोपाल में साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश शासन द्वारा अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार 2020 प्रदान किया गया। मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, विशिष्ट अतिथि अभिनेता आशुतोष राणा एवं संस्कृति मंत्रालय के संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी ने डॉ. अर्पण जैन को इस पुरस्कार से सम्मानित किया। बता दें कि नारद मुनि पुरस्कार में शासन द्वारा एक लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है। डॉ. अर्पण जैन को यह पुरस्कार मातृभाषा. कॉम के लिए प्राप्त हुआ है। जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी ने किया अक्षर सम्मान से सम्मानित डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान से सम्मानित किया। यह सम्मान संस्कृति विभाग जम्मू कश्मीर, जम्मू कश्मीर कला साहित्य, भाषा अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति श्रीनगर के संयुक्त तत्त्वावधान में दिया गया। टैगोर हॉल श्रीनगर में हुए आयोजन में मुख्य अतिथि कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिघूड़ी (आईएएस) थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में जीवन बीमा निगम के प्रादेशिक प्रबंधक जयंत अरोडा और वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति की अध्यक्ष नसरीन अली निधि मौजूद रहे।

वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान से सम्मानित किया।
डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान से सम्मानित किया। यह सम्मान संस्कृति विभाग जम्मू कश्मीर, जम्मू कश्मीर कला साहित्य, भाषा अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति श्रीनगर के संयुक्त तत्त्वावधान में दिया गया। टैगोर हॉल श्रीनगर में हुए आयोजन में मुख्य अतिथि कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिघूड़ी (आईएएस) थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में जीवन बीमा निगम के प्रादेशिक प्रबंधक जयंत अरोडा और वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति की अध्यक्ष नसरीन अली निधि मौजूद रहे।
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दिग्गज़ बोल
मंगल नसीम

जिन्हें देखते ही सीने से लगा लेने को मन करता है, ऐसे बेहद प्यारे डॉ. अर्पण को सस्नेह शुभाशीष।
राजकुमार कुम्भज

डॉ. अर्पण जैन निर्भय होकर हिन्दी के प्रति अपने संकल्प को पूर्ण करें, निर्मल व्यक्तित्व के धनी अर्पण अपनी हिन्दी को देश की सीमाओं के पार विश्व पटल पर पहुँचाएँ। वो हिन्दी का स्वयं सेवक ही नहीं है बल्कि स्वयंसेवक पैदा करने वाला योद्धा है।
महंत राजुदास

हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के महाअभियान में संलग्न डॉ. अर्पण जैन पर हनुमान जी महाराज और प्रभु श्री राम की कृपा है। सनातन संस्कृति और राष्ट्रभाषा हिन्दी बनाने के लिए वे निरंतर प्रयास कर रहे हैं, उनका कार्य बहुत महत्त्वपूर्ण है।
सईद अन्सारी

हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए काम करने वाले डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ को बधाई एवं साधुवाद। हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलवाने के लिए आप निरंतर प्रयासरत हैं, संघर्षरत हैं। इस दिशा में आप बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। क्योंकि आपने अंग्रेज़ी में हस्ताक्षर करने वाले लाखों लोगों को हिन्दी में हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया है, आप बधाई के पात्र हैं।
शिवराज सिंह चौहान

हिन्दी को विश्व में गौरव दिलाने और संयुक्त राष्ट्र में सर्वमान्य भाषा का दर्जा दिलाने में हिन्दी योद्धाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उसी क्रम में इन्दौर के रहने वाले डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ अभूतपूर्व व्यक्तित्व हैं, जो हिन्दी के प्रसार-प्रचार के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने हस्ताक्षर बदलो अभियान चलाया, जो देश की आवश्यकता है। ऐसे व्यक्तित्व अभिनंदनीय हैं।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक

मुझे इस बात की बड़ी ख़ुशी है कि इन्दौर में डॉ. अर्पण जैन जैसे नौजवान हैं, यह आनंद का विषय है। ऐसे पढ़े-लिखे नौजवान भारत में ढूँढने से नहीं मिलते, जिनको हिन्दी से प्रेम है। हिन्दी प्रेम राष्ट्र को बचाने वाला प्रेम है। ऐसे नौजवान अगर किसी शहर में हैं तो वह शहर भी अपने आप में धन्य है। उनसे मिलकर मुझे पुत्र जन्म-सी ख़ुशी मिली है।
स्वामी रामदेव,

हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य की सार्थकता के लिए हिन्दीग्राम व मातृभाषा उन्नयन संस्थान को आशीर्वाद। हिन्दी राष्ट्रभाषा बने, जिससे राष्ट्र पुनः विश्वगुरु बन सके। मेरी शुभकामनाएँ व आशीर्वाद सदैव डॉ. अर्पण जैन व हिन्दीग्राम के साथ हैं।