ऐ जाने वाले, लौट के आ जाओं…

आदरणीय सुरेश सेठ साहब की अन्तिम विदाई पर समर्पित चंद पंक्तियाँ…

 

*ऐ जाने वाले, लौट के आ जाओं…*

जब भी बदलती है बयार सभी,
शहर की कोई परवाह नहीं करता,
पर वो अकेला ही खड़ा रहा,
इंदौर की आत्मा का कवच बनकर…

एक शख्स जो रहा हमेशा शेर-सा
शान-ए-इंदौर राजवाड़े को बचाकर
गजासीन हो जब पहुँचा सदन में
बूढ़े इंदौर का मसीहा बनकर

पिता की भांति वो सदैव चिंतित रहा
अपने शहर की सलवटों को देखकर,
तमाचा भी उसी ने मारा मक्कारों को,
इंदौर का सच्चा हमदर्द बनकर..

हमसे आज वो अलविदा कह गया,
लड़ता रहा वो बस खामोश रहकर,
संघर्षों का योद्धा हर वर्ग से ऊपर,
इंदौर का आज से इतिहास बनकर..

बिछड़कर हमसे वो अमर हो गया,
दिलों में जिन्दा है वो दहाड़ बनकर,
अटल अविचल रहा वो हरदम,
अहिल्या की तरह अडिग बनकर..

नमन कर रहा था शहर सारा,
अपने शेर को बस विदाकर
रो रही थी हर आँख आज,
वो चला इंदौर का दर्द बनकर

*सेठ साहब अमर रहें….*

*डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’*
हिन्दीग्राम, इंदौर

 

यादों में हमेशा रहेंगे सेठ साहब

यादों में हमेशा रहेंगे सेठ साहब

हाँ! याद है पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए पोस्टकार्ड अभियान हेतु सेठ साहब से मिलना, पूर्ण समर्थन करने से शुरु हुआ मिलना, जानना उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को…।
शहर की जनता को राजवाड़ा वापस दिलवाने के संघर्ष से लेकर कई बड़े मुद्दे जिनमें स्ट्रीट लाईट की सौगात और यहाँ तक कि सुगनीदेवी जमीन का मामला सब जगह सफेद शेर की दहाड़ से शहर भलिभांति परिचित रहा |
कई दिनों के स्वास्थ्य संघर्ष के बाद सेठ साहब का शहर को अलविदा कहने से ज्यादा दुखदायी यकीनन एक आवाज का हमेशा के लिए चुप हो जाना और इंदौर के लिए लड़ने वाले शेर का चले जाना है ।
दैनिक इंदौर समाचार में लगातार मेरे आलेखों का प्रकाशित होना और पुन: मिलने पर सेठ साहब का पहचान जाना और लेखन के लिए आशीष देना सबकुछ अब चिर स्मृतियों में हमेशा के लिए अंकित हो गया। असमय काल के आगे शेर का नतमस्तक होकर विधि के विधान को स्वीकार कर हमें छोड़ जाना बहुत याद आएगा…सेठ साहब आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे…
अश्रुपूरित श्रृद्धांजलि सहित…

डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’
सम्पादक- खबर हलचल न्यूज,इंदौर

suresh seth indore samachar

झुलस रहा गणतंत्र, यह राष्ट्र धर्म नहीं

झुलस रहा गणतंत्र, यह राष्ट्र धर्म नहीं ===================================================== डॉ. अर्पण जैन अविचल

जहाँ हुए बलिदान प्रताप और जहाँ पृथ्वीराज का गौरव हो, जहाँ मेवाड़ धरा शोभित और जहाँ गण का तंत्र खड़ा हो, ऐसा देश अकेला भारत है, परन्तु वर्तमान में जो हालात विश्वपटल पर पहुँचाए जा रहे है वो भारत का असली चेहरा नहीं |

बलिदानों और शूरवीरों की धरा पर बच्चों पर हमले, राष्ट्र के इतिहास के नाम पर भविष्य पर पथराव ये राष्ट्र गौरव नहीं बल्कि राष्ट्र को बदनाम करने की सुपारी लेकर काम करने की नीयत ही प्रतीत होती है|

गणतंत्र दिवस पर इस बार इतिहास खुद को दोहराएगा। भारत ने 26 जनवरी 1950 को अपना पहला गणतंत्र दिवस मनाया था और उस समय दक्षिण पूर्व एशिया के दिग्गज नेता और इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य अतिथि थे। आजादी के 68 साल बाद भारत ने एक बार फिर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो को गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित किया है।

                              हालांकि इस बार सिर्फ इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ही मुख्य अतिथि नहीं होंगे। भारत ने आसियान के नौ अन्य राष्ट्राध्यक्षों को भी इस ऐतिहासिक पल के लिए आमंत्रित किया है जो गणतंत्र दिवस की परेड में भारत की सैन्य क्षमता और सांस्कृतिक विविधता के गवाह बनेंगे। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान के 10 देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया है जो अपने आप में अप्रत्याशित है।

और इस गौरव क्षण में राष्ट्र जातिवाद के दावानल में जल रहा है, विरोध तो इतिहास के साथ हुई खिलवाड़ का होना था, परन्तु कहीं मासूम बच्चों की स्कूली बस पर पथराव तो कहीं बसें जलाई जा रही है | ये सब सोची समझी साजिश है हिन्द की अस्मिता को दाँव पर लगा कर वैश्विक मंच पर बदनाम करने की |

राष्ट्र आन्तरिक कलह की आग में झुलस रहा है,और झुलसा हुआ शरीर लेकर क्या हम गणतंत्र दिवस मनाएंगे ? आखिर शर्म तो तब आनी चाहिए थी जब देश के अंदर ही जयचंद जिन्दा हो |

राष्ट्रीय पर्व के समीप आते ही गर्व और शौर्य का परचम लहराने वाले राजपूतों के नाम पर करणी सेना बना कर शौर्य को बदनाम करने का बीड़ा उठाकर राष्ट्र को तोड़ा जा रहा है |खण्डित गणतंत्र क्या राष्ट्रधर्म का निर्वाह कर रहा है ??

धिक्कार है ऐसे शिखंडियों पर, जो राष्ट्र के गौरव और सम्मान को विश्व पटल पर लज्जित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हो |अब भी हमारी आजादी और गणतंत्र अधूरा है, क्योंकि अभी भी जयचंद जिन्दा है |

भामाशाह और प्रताप के वंशज ऐसा तो नहीं कर सकते, क्योंकि सुना है शेर पुष्प और मासूम घास नहीं खाता|

परन्तु दुर्भाग्य है इस देश का कि यहाँ चंद चांदी के सिक्को की खनक से माँ का चीर हरण भी सहर्ष देखा और खरीदा जा सकता है |करणी सेना द्वारा जो राष्ट्रीय पर्व के समिप ही राष्ट्र संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया जा रहा है, ये उनके जयचंद होने के प्रमाण से ज्यादा क्या होगा | भारत में जिस तरह से करणी सेना पद्मावत फिल्म के विरोध में राष्ट्र संपत्ति पर प्रहार कर रही हैं, ये लोकतंत्र या गणतंत्र नहीं बल्कि विरोध के तरीके से राष्ट्रीय नुकसान हैं |

बहरहाल देश को झुलसने से बचाने में अपना सर्वस्व अर्पण करें, वर्ना हम एक दिन बिखरा हुआ राष्ट्र और खण्ड-खण्ड विखंडित समाज ही बच्चों को विरासत में सौंप पाएंगे |

 डॉ. अर्पण जैन अविचल

पत्रकार एवं स्तंभकार

इंदौर, मध्यप्रदेश

07067455455

 

मैं जरुरत बनूंगा

हाँ !
प्यार की ठण्ड से *ठिठुरते* जज्बातों पर
मैं तुम्हारी तपन बनूंगा,

हाँ !
उम्मीद के स्याह आसमान में दीपक-सी
मैं तुम्हारे लिए रोशनी बनूंगा,

हाँ!
थामकर हाथ मेरा चलने की आदत है तुम्हें
मैं तुम्हारी लाठी बनूंगा,

हाँ !
तुम्हें जरुरत दवा की नहीं मेरे साथ की है,
मैं तुम्हारी जरुरत बनूंगा

हाँ!
स्वप्नों की सेज पर संबलता का साया,
मैं तुम्हारी हकिकत बनूंगा

हाँ!
गन्तव्य पर पथिक बन चलों तुम,
मैं तुम्हारी कोशिश बनूंगा,…

 

*डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’*

लघुकथा- प्रतिक्रिया

*लघुकथा- प्रतिक्रिया*

सारांश अपनी व्यस्त जीवन शैली में संचयनी के साथ बहुत खुश था, पर संचयनी अपनी सहेलियों और सहकर्मीयों के बीच बहुत सीधी और भोली थी |
संचयनी के सहकर्मी उसके भोलेपन का हमेशा नाजायज फायदा उठा कर संचयनी को ही तंज कसते रहते थे, जिसके कारण वह पिछले कुछ दिनों से थोड़ी उखड़ी-उखड़ी सी रहने लगी थी, जबकि संचयनी पेशे से एक्युप्रेशर चिकित्सक थी, और उसका शौक लेखन था ।
उसकी एक सहकर्मी ने संचयनी की डीग्री पर जलनवश टिप्पणी की थी , जिससे संचयनी बहुत ज्यादा व्यथित थी ।
उसके माथे की शिकन देखकर सारांश ने उससे कारण जाना ।
कारण जानने के बाद सारांश ने तर्क दिया कि
संचयनी तुम प्रतिक्रियावादी समाज में रहती हो, और तुम एक बात ध्यान रखो
हर क्रिया की एक *प्रतिक्रिया* होती है,
जब तक तुम प्रतिक्रिया नहीं दोगी, ये समाज तुम्हे जीने नहीं देगा ।
जिस सहकर्मी ने टिप्पणी दी उसका भी तो तुम व्यक्तित्व देखो, क्या वो उस लायक भी है जिसे महत्व दिया जाए, तो तुम क्यों लिहाज करती हो, तुम्हें प्रतिक्रिया देना आना चाहिए ।
इनसब संवाद के बाद से संचयनी के जीवन में बहुत सुधार आया और संचयनी अब प्रतिक्रियावादी समाज में सहर्ष प्रतिक्रिया देकर जीवन को सशक्तता से जीने लग गई है ।

*डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’*
इंदौर, मध्यप्रदेश

दैनिक लोकजंग में प्रकाशित आलेख

भोपाल से प्रकाशित दैनिक लोकजंग में मेरा आलेख-
‘तर्क के आरोहण के बाद बनेगा हिन्दी राष्ट्रभाषा का सूर्य’

तर्क के आरोहण के बाद बनेगा हिन्दी राष्ट्रभाषा का सूर्य

जीवेत शरद: शतम्

‘जीवेम शरदः शतम्’

आज मेरे दादाजी का जन्मदिवस है…
उम्र के 90 बसंत का गहरा अनुभव संजोएं हुए दादाजी का आशीष हमें मिलता है….
परमात्मा उत्तम स्वास्थ्य सह दीर्घायु प्रदान करें….

www.arpanjain.com

About SANS Group of Companies

SANS Group of Companies

Its all about SANS Business Group…

*1 SANS Technologies*

Arpan Jain
CEO & Founder
www.sanswebmedia.com

*2 SANS Buildcon*
Suresh Jain
Founder & CMD

*3 Khabar Hulchal News*
Arpan Jain
CEO & Founder
www.khabarhulchal.com

*4 KNI India*
Arpan Jain
CEO & Founder
www.kniindia.com

*5 IndianReporters.com*
Arpan Jain
CEO & Founder
www.indianreporters.com

*6 Matrubhashaa*
Ajay Jain
Co Founder
www.matrubhashaa.com

*7 Pathshalam*
Ajay Jain
Co Founder
www.pathshalam.com

*8 SANS Films*
Arpan Jain
CEO & Founder

*9 Urdubhasha*
Arpan Jain
CEO & Founder
www.urdubhasha.com

*10 JustInfome.com*
Kamal kumar Jain
Co Founder & COO
www.justinfome.com

*11 Indori Thiya*
Mrs. Shikha Jain
Founder & COO
www.indorithiya.com

*12 Madhukar Sandesh*
Swastik Jain
Co Founder & co Editor
www.madhukarsandesh.com

*13 SANS Foundation*
Shikha Jain
Co Founders

*14 eArtistBank*
Swapnil solanki
Co founder & CEO
www.eartistbank.com

*15 AntraShabdshakti*
Mrs. Priti Surana
Founder and CEO
www.antrashabdshakti.com

*16 SANS Patners*
Arpan Jain
Founder

जन्मदिन की शुभेच्छा, पापा

एक शख्स जिसने खुद का यौवन, मेरे जीवन को बनाने में कुर्बान कर दिया,जिसने मेरे हर ख्वाब को पुरा करने के लिए खुद के ख्वाब नहीं देखे,
जो मेरी प्रेरणा और सर्वस्व हैं, मेरे जीवन में एक पिता होने के पहले वो मेरे गुरु, प्रेरक और अच्छे दोस्त है…
ईश्वर को अनंत धन्यवाद है जो मेरे पिता के रुप में मेरा सबकुछ आज मेरी ताकत है…
आप मेरे साथ है तो ही मेरे जीवन में मेरी सबसे बड़ी जीत और हिम्मत है…

पापा, जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Happy Birthday PAPA,

 

­