संकट में है अख़बार, भविष्य अधर में

संकट में है अख़बार, भविष्य अधर में ✍🏻 *डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’* ‘एक समय आएगा जब अख़बार रोटरी पर छपेंगे, संपादकों की ऊँची तनख्वाह होगी, पर तब संपादकीय संस्थाएँ समाप्त हो जाएँगी।’ ऐसी बात आज़ादी के पहले बाबू विष्णु पराड़कर जी लिख गए, जो आज अक्षरश: सत्य नज़र आ रही है। आज संपादकीय संस्थान तो […]


सवाल तो विधान का था…

सवाल तो विधान का था… ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ■ डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ हस्तिनापुर के अनुबंध और करार में बंधें गुरू द्रोणाचार्य ने जब वनवासी बालक और क्षेत्रीय काबिले के सरदार के पुत्र को धनुर्विद्या सीखाने से इंकार कर दिया तो वही वनवासी बलवान एकलव्य गुरु द्रोण की मूर्ति से धनुर्विद्या सीखने लगा और पारंगत होने पर […]


वह बिनती लोहा…. इंदौर के पथ पर

वह बीनती लोहा…. इंदौर के पथ पर –डॉ अर्पण  जैन ‘अविचल’ भरी दुपहरी में सूर्य के ताप को सहती, जिसके तन पर कपड़े भी मजबूरी ने फाड़ रखे हो, चेहरे की झुर्रियाँ उम्र की ढलान की ओर साफ तौर पर इशारा कर रही है, जिम्मेदारियों का बोझ उठाते-उठाते थके हुए कंधे जो पति के आवश्यकता […]


सूतक लग चुका है… सनद रहें

सूतक लग चुका है…. सनद रहें –डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ चुनावी मौसम खुमार पर आया, शहर के व्यस्ततम क्षेत्र राजवाड़े से माँ अहिल्या की प्रतिमा पर पहले बम के संदेह में जाँच करवाने के बाद भाजपा के मुखिया अमित शाह ने अपने चुनावी अभियान के तहत सड़क मार्ग से जनसंपर्क अभियान का प्रारंभ कर दिया । […]


हिन्दी के सम्मान में, हर भारतीय मैदान में जैसी अलख जगाने वाले का नाम डॉ जैन

कहानी: अनथक हिन्दी योद्धा डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ से खास भेंट हिन्दी के सम्मान में, हर भारतीय मैदान में जैसी अलख जगाने वाले का नाम डॉ जैन कहानी एक ऐसे व्यक्ति की जो हिन्दी भाषा को भारत में ही सम्मान स्वरुप राष्ट्रभाषा बनाने के लिए संघर्षरत है, जो संगणक विज्ञान अभियंता होने के बावजूद स्थापित […]


स्तरहीन कवि सम्मेलनों से हो रहा हिन्दी की गरिमा पर आघात

स्तरहीन कवि सम्मेलनों से हो रहा हिन्दी की गरिमा पर आघात डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ कवि सम्मेलनों का समृद्धशाली इतिहास लगभग सन १९२० माना जाता हैं । वो भी जन सामान्य को काव्य गरिमा के आलोक से जोड़ कर देशप्रेम प्रस्तावित करना| चूँकि उस दौर में भारत में जन समूह के एकत्रीकरण के लिए बहाने […]


एक साक्षात्कार – डॉ अर्पण जैन अविचल का…

नाम: डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ पिता: श्री सुरेश जैन माता: श्रीमती शोभा जैन पत्नी: श्रीमती शिखा जैन जन्म: २९ अप्रैल १९८९ शिक्षा: बीई (संगणक विज्ञान अभियांत्रिकी) एमबीए (इंटरनेशनल बिजनेस) पीएचडी- भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ पुस्तकें: १. मेरे आंचलिक पत्रकार ( आंचलिक पत्रकारिता पर केंद्रित पुस्तक ) २. काव्यपथ ( काव्य संग्रह) ३. राष्ट्रभाषा (तर्क और विवेचना) ४. नव त्रिभाषा सूत्र (भारत […]


प्रकाशित पुस्तकें ही है लेखक की पहचान

*प्रकाशित पुस्तकें ही है लेखक की पहचान* पुस्तक सर्वदा बहुत अच्छी मित्र होती है, इसके पीछे एक कारण यह है कि पुस्तक ही किसी सृजक के उपलब्ध ज्ञान का निष्कर्ष होती है। जब तक लेखक किसी विषय को गहनता से अध्ययन नहीं कर लेता उस पर लेखन उसके लिए संभव नहीं है और गहराई से […]


मासूमों की चित्कारों से लथपथ भारतीय राजनीति

मासूमों की चित्कारों से लथपथ भारतीय राजनीति डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल‘ भारत के भाल से पढ़े जा रहें कसीदे, कमलनी के तेज पर प्रहार हो रहा है, समाजवाद से गायब समाज है, वामपंथी भी संस्कृति और धर्म के बीच का अन्तर भूल चुके हैं, न देश की चिन्ता है,न ही परिवेश की| धर्म और जातियों के […]