डॉ. अर्पण जैन को मिला विशिष्ट हिन्दी सेवी सम्मान 2025

भोपाल। लघुकथा दिवस के अवसर पर लघुकथा शोध केन्द्र समिति द्वारा भोपाल के हिन्दी भवन में शुक्रवार को लघुकथा पर्व 2025 का आयोजन किया गया। इस आयोजन में मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिन्दीयोद्धा डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ को हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए ‘विशिष्ट हिन्दी सेवी सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवेंद्र दीपक ने की व सारस्वत अतिथि नई दिल्ली से सुभाष नीरव, डॉ. उमेश कुमार सिंह, शोध केन्द्र निदेशक कान्ता रॉय एवं उपाध्यक्ष घनश्याम मैथिल रहे।

ज्ञात हो कि डॉ. अर्पण जैन हिन्दी सेवी हैं, जिन्होंने अब तक लगभग 30 लाख लोगों के हस्ताक्षर बदलवा दिए हैं। साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 का अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार और जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी एवं वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति द्वारा वर्ष 2023 का अक्षर सम्मान डॉ. अर्पण जैन को प्राप्त हुए हैं।

आयोजन में विभिन्न कृतिकारों एवं साहित्यकारों को भी सम्मानित किया गया।

बाजीराव भारत के नेपोलियन नहीं, नेपोलियन थे विश्व के बाजीराव

वैश्विक इतिहासकारों ने भारत के साथ किया दुर्व्यवहार, जनता को खारिज़ करना होगा कथन

इन्दौर। इतिहासकार वी.एस. स्मिथ ने बाजीराव पेशवा की युद्ध कला और रणनीतिक कौशल को देखते हुए उन्हें “भारत का नेपोलियन” कहा था।
इस पर इन्दौर के वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने विरोध दर्ज करते हुए कहा कि ‘मूर्खता की पराकाष्ठा यह है कि क्या स्मिथ को यह ज्ञात नहीं कि बाजीराव का जन्म 1700 ई. में हुआ और निधन 28 अप्रैल 1740 ई. में हो गया था, और नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 1769 ई. में हुआ। तथ्य अनुसार तो जो व्यक्ति पहले जन्म लेकर इतिहास दर्ज करता है, उसके अनुसार बाद में जन्म लेने वाले को उसके जैसा बताया जाता है, उसी मायने से नेपोलियन ने बाजीराव के शौर्य का अनुसरण किया और इस कारण से तो नेपोलियन को विश्व का बाजीराव कहा जाना चाहिए।’


उन्होंने तात्कालिक विदेशी इतिहासकार पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि ‘ भारतीय ज्ञान परम्परा को ख़ारिज करने के कुत्सित प्रयासों के चलते इस तरह के इतिहासकारों को भारत मे मान्यता दी गई है। उस दौर में क्यों भारतीय इतिहास को इस तरह से गंदा किया गया होगा? और आख़िर इन जैसे इतिहासकारों को भारत के महान योद्धाओं को विश्व योद्धाओं की तुलना में कमज़ोर बताने की आवश्यकता क्यों हुई?’

घनाक्षरी- प्रेम

कोमल अंग सी तुम
प्रेम का पवित्र रूप
प्रेम तुम से हुआ है
प्रेम जीत जाएगा

जीवन का एक छंद
पवन बहेगी मंद
प्रीत की फुहार बन
प्रेम गीत गाएगा

भाषा का शृंगार देख
मन बन हार देख
मानस तो भीगा हुआ
प्रेम मीत लाएगा

कहने को शब्द रीत
मनडोर बंधी प्रीत
जीवन जीयेगा और
प्रेम प्रीत पाएगा।

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

समीक्षा लेखन के लिए डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ हुए पुरस्कृत

इन्दौर। आत्म अनुभूति मंच एवं निःशुल्क वाचनालय द्वारा मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ को पुस्तक ‘पत्नी एक रिश्ता’ की समीक्षा लिखने पर पुरस्कृत किया गया। यह पुरस्कार लेखक राधेश्याम माहेश्वरी एवं हीरामणि माहेश्वरी द्वारा दिया गया, जिसमें सम्मान सहित नगद राशि भी प्रदान की गई।
ज्ञात हो कि पुस्तकों के एक अनूठे महायज्ञ का संचालन करने वाले आत्म अनुभूति मंच के द्वारा निःशुल्क पुस्तकालय संचालित करने वाला माहेश्वरी दम्पत्ति निरंतर पुस्तकों की सेवा कर रहा है एवं राधेश्याम माहेश्वरी द्वारा एक पुस्तक ‘पत्नी- एक रिश्ता’ लिखी गई। और इस पुस्तक की समीक्षाओं को पुरस्कृत भी किया गया है। इसमें डॉ. अर्पण जैन सहित डॉ. किसलय पंचौली, ज्योति जैन, रंजना फतेहपुरकर, प्रीति मकवाना, वैजयंती दाते व अरुणा खरगोनकर को भी पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

कविताः गुरुत्वाकर्षण

जैसे लौटती है बूंद,
वैसे ही लौटती है ज़िन्दगी।

जैसे लौटता है समय,
वैसे ही लौटती हैं स्मृतियाँ।

जैसे लौटती है चिड़िया,
वैसे ही लौटता है कलरव।

जैसे लौटती है कविता,
वैसे ही लौटती है किताबें।

जैसे लौटती हैं पुरानी कतरने,
वैसे ही लौटती हैं पुरानी चिट्ठियाँ।

जैसे लौटते हैं मनुष्य,
वैसे ही लौटती है मनुष्यता।

यही गुरुत्वाकर्षण का
अबोध सिद्धांत है।

हर चीज़ लौटती है,
अपने समयानुशासन में…..

है न….?

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

Photo Clicked by Dr. Arpan Jain ‘Avichal’