हिन्दी हमारी मातृभाषा है। हमारी संस्कृति की आत्मा हिन्दी है। हिन्दी भाषा के प्रयोग, विकास और विस्तार के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। इन प्रयासों में सरकार के साथ-साथ साहित्य सेवी संस्थाओं और समाज का सहयोग ज़रूरी है। यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि मातृभाषा उन्नयन संस्थान और भाई डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ भी हिन्दी भाषा और साहित्य सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। हिन्दी के नवोदित और स्थापित रचनाकारों को एक मंच पर लाने के साथ-साथ जनजागृति अभियान के माध्यम से हिन्दी के सशक्तिकरण की दिशा में संस्थान की पहल सकारात्मक है। हार्दिक शुभकामनाएँ।
मंगुभाई पटेल
राज्यपाल, मध्यप्रदेश
हिन्दी भाषा राष्ट्र की आराधना का प्राण तत्व है। मातृभाषा उन्नयन संस्थान, इंदौर द्वारा मातृभाषा.कॉम के माध्यम से हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार के कार्य की सराहना करता हूँ। हिन्दी को विश्व गौरव के रूप में स्थापित करने हेतु हस्ताक्षर बदलो अभियान बड़ी प्रेरकता में स्थापित किए गये विश्व कीर्तिमान के अभिनंदनीय कार्य के साथ-साथ आप सफलता प्राप्त करें, इसी शुभकामना के साथ ।
भूपेन्द्र पटेल
मुख्यमंत्री, गुजरात
हिन्दी देश को जोड़ने वाली भाषा है। देश के विकास के लिए आवश्यक है कि आमजन की भाषा शिक्षा, साहित्य, मीडिया, शासन-प्रशासन की भी भाषा बने। मातृभाषा हिन्दी के संवर्धन एवं संरक्षण की दृष्टि से किया जा रहा कार्य सराहनीय है। मुझे आशा है कि मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा भविष्य में भी मातृभाषा उन्नयन हेतु तत्परता से प्रयास किया जाएगा। मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।
योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ऐसी शख़्सियत हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन मातृभाषा हिन्दी और उसके साहित्य के उन्नयन के लिए समर्पित किया हुआ है। नाम के अनुरूप अपने इस यज्ञ के प्रति वे अचल-अटल हैं, निरंतर क्रियाशील। उन्होंने व्रत ले रखा है कि जब तक हिन्दी राष्ट्रभाषा नहीं बनती, तब तक वे मिष्ठान्न नहीं खाएँगे। इस प्रकार का आत्म-नियंत्रण कठिन काम है, किन्तु डॉ. अर्पण जैन ने उसे अच्छे से साधा हआ है।
डॉ. अर्पण जैन उत्साही और समर्पित व्यक्तित्व हैं। आज जब बाज़ारवाद, भूमण्डलीकरण और सोशल मीडिया के कारण हिन्दी के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं, डॉ. जैन की यह संपूर्ण यात्रा हिन्दी के उत्कर्ष के लिए निश्चित ही कारगर सिद्ध होगी।
सूर्यकांत नागर
वरिष्ठ साहित्यकार, इन्दौर