लघुकथा- मंचों की कवयित्री

*2.लघुकथा-मंच की कवयित्री* संस्कृति मंचों की एक उम्दा कवियत्री है । सप्ताह में 4 से अधिक कवि सम्मेलनों में रचना पाठ करना ही संस्कृति की पहचान थी । पुरुषप्रधान समाज होने के कारण कई बार संस्कृति का सामना फूहड़ कवियों और श्रोताओं से भी होता था । इसी बीच एक गाँव में हुए कवि सम्मेलन […]


एक अनुरोध

*एक अनुरोध* हम सभी जैन किसी न किसी तरिके से जिन आराधना जरुर करते है, उसके साथ ही एक और आराधना स्वरुप ही कार्य है जिसमें *जैन तीर्थ ,मंदिर, उपाश्रय, स्थानक* आदि की जानकारी सहज रुप से उपलब्ध करवाना | हम चाहे *दिगंबर/श्वेतांबर/स्थानक वासी/ मंदिरमार्गीय/तेरापंथी या अन्य* किसी भी मत को मानने वाले हो परन्तु […]