संकट में है अख़बार, भविष्य अधर में

संकट में है अख़बार, भविष्य अधर में ✍🏻 *डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’* ‘एक समय आएगा जब अख़बार रोटरी पर छपेंगे, संपादकों की ऊँची तनख्वाह होगी, पर तब संपादकीय संस्थाएँ समाप्त हो जाएँगी।’ ऐसी बात आज़ादी के पहले बाबू विष्णु पराड़कर जी लिख गए, जो आज अक्षरश: सत्य नज़र आ रही है। आज संपादकीय संस्थान तो […]