सुनो…मेरे यार

सुनो, ये सब इतना आसान नहीं था, न ही इतना सहज था, न हो सकता था प्रेम, न ही हो सकता था द्वेष, सबकुछ अचानक से नहीं हुआ, जितने सरल रुप में दुनिया ने देखा, गुजरे जमाने की यादों के सहारे मैने जिया है तुम्हें, तुम्हारे रंग को.. मैने पाया नहीं तुम्हें अचानक से, मैने […]


प्रकाशित पुस्तकें ही है लेखक की पहचान

*प्रकाशित पुस्तकें ही है लेखक की पहचान* पुस्तक सर्वदा बहुत अच्छी मित्र होती है, इसके पीछे एक कारण यह है कि पुस्तक ही किसी सृजक के उपलब्ध ज्ञान का निष्कर्ष होती है। जब तक लेखक किसी विषय को गहनता से अध्ययन नहीं कर लेता उस पर लेखन उसके लिए संभव नहीं है और गहराई से […]


मासूमों की चित्कारों से लथपथ भारतीय राजनीति

मासूमों की चित्कारों से लथपथ भारतीय राजनीति डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल‘ भारत के भाल से पढ़े जा रहें कसीदे, कमलनी के तेज पर प्रहार हो रहा है, समाजवाद से गायब समाज है, वामपंथी भी संस्कृति और धर्म के बीच का अन्तर भूल चुके हैं, न देश की चिन्ता है,न ही परिवेश की| धर्म और जातियों के […]