सड़कों पर कब्ज़ा या बदरंग होता शहर

◆ डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

शहर उत्सवधर्मी है, उत्सवों का अपना आनंद भी है, और इन्हीं उत्सवों की बदौलत इन्दौर की आर्थिक तंदरुस्ती भी बनी रहती है। किन्तु त्योहार हर व्यक्ति के होते है, इस बात से बेख़बर ये तथाकथित बड़े दुकानदारों ने तो अपनी दुकान सड़कों पर ही लगा रखी है। बची-कुची पार्किंग पर भी इनका कब्ज़ा है, अथवा सड़कों पर ग्राहकों की गाड़ियों को पार्क करवा कर सीधे तौर पर सड़कों पर अतिक्रमण करने आम राहगीर का जीना दूभर कर रहे हैं, और प्रशासन है कि हमेशा की तरह हाथ पर हाथ धरकर बैठा है, जैसे मानो कुछ अतिक्रमण हो ही नहीं रहा क्योंकि ‘समरथ को नहीं दोष गुसाईं’?

कारण कुछ भी हो पर शहर के प्रति इस तरह की प्रशासनिक अनदेखी सोचने पर विवश करती है कि इस तरह की रहमदिली प्रशासन ने क्यों दिखा रखी है? पलासिया से साकेत नगर जाने वाले मार्ग में ग्रेटर कैलाश के सामने की ओर सड़कों पर चौपहिया वाहनों की अनाधिकृत पार्किंग बन गई, उसी मार्ग पर आए दिन जाम लगता है। दो मिठाई की प्रसिद्ध दुकानों के ग्राहकों के चौपहिया वाहनों का कब्ज़ा सड़क पर है, इससे आगे निकले तो कैप के बड़े ब्रांड की दुकान से लेकर आगे वाले कॉम्प्लेक्स दोनों में पार्किंग की समुचित व्यवस्था नहीं है, इस कारण वहाँ के रहवासी दुकानदारों और ऑफ़िस मालिकों की गाड़ियाँ भी सड़कों पर पार्क हैं। यही हाल साकेत चौराहे से आनंद बाज़ार जाने वाले रास्ते के मोड़ का भी है।
बहरहाल, यही हाल शहर के अन्य-अन्य स्थानों का भी है, पर प्रशासन का अतिरिक्त प्रेम इन बड़े दुकानदारों पर क्यों है? जबकि इसी शहर में नगर निगम की पीली गैंग ने सड़कों पर ग़रीबों की दुकानों से सामान सड़क पर फेंका है। रेहड़ियों को पलट कर ग़रीब के सामान को लूटा है। शहर के पश्चिम क्षेत्र के बाज़ारों में तो पैर रखने की जगह नहीं, आधी सड़क तो अतिक्रमण से दुकानदारों ने घेरी हुई है और बची हुई जगह पर लोगों ने गाड़ियों की पार्किंग रख ली। अब इस शहर का भगवान ही मालिक बचा है।

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
पत्रकार एवं लेखक