डॉ. विकास दवे

तीन पग नापकर वामन का विराट हो जाना अर्थात अर्पण जैन और मातृभाषा उन्नयन संस्थान
प्रिय अनुज अर्पण जैन अपने कार्यों के कारण इस समय संपूर्ण देश में यश को प्राप्त कर रहे हैं। विशेष कर भाषा और साहित्य की सेवा के लिए उनकी प्रतिबद्धता हम सबको आकर्षित भी करती है और प्रभावित भी। उनकी अनेक योजनाओं को इस समय संपूर्ण भारत का साहित्य जगत और भाषा की सेवा करने वाली संस्थाएं अत्यंत जिज्ञासा और प्रेरक तत्व के रूप में देख रही हैं। पहले उन्होंने जब हिंदी में हस्ताक्षर को प्रोत्साहन देने के लिए देशभर से आवाहन किया और उस आवाहन के फल स्वरुप लगभग तीस लाख लोगों ने हिंदी में हस्ताक्षर करना प्रारंभ किया तो इस कार्य की गूंज प्रदेश और देश की राजधानियों तक होने लगी। दूसरे पग पर जब साहित्यकारों को सम्मान देना प्रारंभ किया तो सम्मान स्वयं सम्मानित होने लगे। इसी प्रकार तीसरे पग पर इन दिनों उन्होंने अपने घर में एक कोना पुस्तकों के लिए सुरक्षित रखने तथा जिन साहित्य अनुरागियों के घर में बड़े पुस्तकालय हैं उन्हें सम्मानित करने का उपक्रम प्रारंभ किया है। यह कदम भले ही छोटे दिखाई देते हों किंतु उनके दूरगामी परिणाम निश्चय ही अर्पण भाई को और अधिक यशस्वी बनाएंगे।
डॉ. मोहन यादव

ख़बर हलचल न्यूज, इंदौर के माध्यम से सक्रियता से कार्य करने वाले डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ एक साधक है। वैसे भी माँ अहिल्या की नगरी इंदौर हिन्दी पत्रकारिता का प्रमुख केंद्र है।
हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता के लिए कार्यरत डॉ. जैन युवाओं के लिए प्रेरक है।
प्रो.(डॉ.) के जी सुरेश,

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और उन्नयन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। वे मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में ‘हस्ताक्षर बदलो अभियान’ और ‘भाषा समन्वय’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से हिंदी को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता और साहित्य में भाषा की शुद्धता को प्रोत्साहित भी किया। उन्होंने अपने लेखन और स्तंभों के माध्यम सेल हिंदी भाषा की सांस्कृतिक और सामाजिक महत्ता को उजागर किया है। हिंदी प्रेमियों के हृदय में उनका एक विशिष्ट स्थान सदैव रहेगा और वे उनकी उपलब्धियों और योगदान के लिए बधाई के पात्र हैं।
सावित्री ठाकुर

विगत दो दशकों से मेरे संसदीय क्षेत्र धार जिले व अन्य स्तरों पर डॉ. अर्पण जैन की पत्रकारिता से परिचय बख़ूबी रहा। अंचल की ख़बरों को राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाने और धार जिले की एक छोटी-सी तहसील कुक्षी से देशभर की यात्रा कर सफलता अर्जित करने के कारण आप बधाई के पात्र हैं।
मंगल नसीम

जिन्हें देखते ही सीने से लगा लेने को मन करता है, ऐसे बेहद प्यारे डॉ. अर्पण को सस्नेह शुभाशीष।
राजकुमार कुम्भज

डॉ. अर्पण जैन निर्भय होकर हिन्दी के प्रति अपने संकल्प को पूर्ण करें, निर्मल व्यक्तित्व के धनी अर्पण अपनी हिन्दी को देश की सीमाओं के पार विश्व पटल पर पहुँचाएँ। वो हिन्दी का स्वयं सेवक ही नहीं है बल्कि स्वयंसेवक पैदा करने वाला योद्धा है।
महंत राजुदास

हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के महाअभियान में संलग्न डॉ. अर्पण जैन पर हनुमान जी महाराज और प्रभु श्री राम की कृपा है। सनातन संस्कृति और राष्ट्रभाषा हिन्दी बनाने के लिए वे निरंतर प्रयास कर रहे हैं, उनका कार्य बहुत महत्त्वपूर्ण है।
सईद अन्सारी

हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए काम करने वाले डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ को बधाई एवं साधुवाद। हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलवाने के लिए आप निरंतर प्रयासरत हैं, संघर्षरत हैं। इस दिशा में आप बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। क्योंकि आपने अंग्रेज़ी में हस्ताक्षर करने वाले लाखों लोगों को हिन्दी में हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया है, आप बधाई के पात्र हैं।
शिवराज सिंह चौहान

हिन्दी को विश्व में गौरव दिलाने और संयुक्त राष्ट्र में सर्वमान्य भाषा का दर्जा दिलाने में हिन्दी योद्धाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उसी क्रम में इन्दौर के रहने वाले डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ अभूतपूर्व व्यक्तित्व हैं, जो हिन्दी के प्रसार-प्रचार के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने हस्ताक्षर बदलो अभियान चलाया, जो देश की आवश्यकता है। ऐसे व्यक्तित्व अभिनंदनीय हैं।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक

मुझे इस बात की बड़ी ख़ुशी है कि इन्दौर में डॉ. अर्पण जैन जैसे नौजवान हैं, यह आनंद का विषय है। ऐसे पढ़े-लिखे नौजवान भारत में ढूँढने से नहीं मिलते, जिनको हिन्दी से प्रेम है। हिन्दी प्रेम राष्ट्र को बचाने वाला प्रेम है। ऐसे नौजवान अगर किसी शहर में हैं तो वह शहर भी अपने आप में धन्य है। उनसे मिलकर मुझे पुत्र जन्म-सी ख़ुशी मिली है।
स्वामी रामदेव,

हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य की सार्थकता के लिए हिन्दीग्राम व मातृभाषा उन्नयन संस्थान को आशीर्वाद। हिन्दी राष्ट्रभाषा बने, जिससे राष्ट्र पुनः विश्वगुरु बन सके। मेरी शुभकामनाएँ व आशीर्वाद सदैव डॉ. अर्पण जैन व हिन्दीग्राम के साथ हैं।