देश के सबसे स्वच्छ शहर इन्दौर अब अन्य शहरों के लिए मानक और सीखने का विश्व विद्यालय बनता जा रहा है, जैसे स्वच्छता के मामले में हमने रिकॉर्ड बढ़त हासिल की, उसी तरह शहर को सुंदर रखना भी शहर वासियों की ज़िम्मेदारी है, और शहर यदि सुंदर रहेगा तो कई समस्याओं से मुक्त भी रहेगा।
शहर के सौंदर्यीकरण और लोगों की सुविधा के लिए नगर निगम द्वारा सड़क किनारे दोनों ओर फ़ुटपाथ बनवाए हैं, परंतु फ़ुटपाथ पर दुकानदार और फल विक्रेताओं ने कब्ज़ा कर लिया है। इस कारण बाज़ार में ख़रीदारी के लिए पैदल आने वाले लोगों को मजबूरी में सड़क पर चलना पड़ रहा है। हालांकि फ़ुटपाथ पर दुकानदार के सामान और ठेला दुकानदारों की नगर निगम कई बार कार्रवाई कर चुकी है, परंतु कुछ दिन बाद स्थिति जस की तस हो जाती है।
लाखों रुपये ख़र्च करने के बाद शहर के कई इलाकों में बने फ़ुटपाथ अब कब्ज़े और अतिक्रमण के शिकार हो गए हैं, फल विक्रेता, चाय-पान के ठेले, अन्य खाद्य सामग्रियों की दुकानें और साथ-साथ दुकान के आगे बने फ़ुटपाथ पर तो दुकानदार का ही कब्ज़ा जमा गया है। निगमकर्मी जब इन ठेलों-अस्थायी दुकानों को हटाने पहुँचते हैं तो सामान्यतः विवाद होता ही है। इनमें से कई फ़ुटपाथ पर कब्ज़े तो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के समर्थन से चल रहे हैं, नेता के समर्थक नेताजी के नाम से कब्ज़े कर रहे हैं, जिनका किराया वसूला जा रहा है। ऐसे में शहर बदरंग होता जा रहा है, जो चिंता का विषय है। स्थानीय मरीमाता क्षेत्र हो अथवा एम.जी. रोड़ या एबी रोड़, हर फ़ुटपाथ पर रेहड़ी, ठेले और दुकानदारों के अतिक्रमण सामान्यतः दिख ही जाएँगे।
महानगर की दिशा में बढ़ते इन्दौर की व्यवस्थाओं में बेहद सुधार आवश्यक है, जो निगम की सख़्ती, दंडात्मक कार्यवाही और जनता की स्वीकार्यता से ही सम्भव है। यदि जनता भी जागरुक हो जाएगी तो शहर की ख़ूबसूरती पर कोई दाग़ नहीं लगा सकता।
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
पत्रकार एवं हिन्दीयोद्धा
इंदौर
