aboutdrarpanjain

डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' के बारे में


डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ का परिचय

नाम: डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

पिता: श्री सुरेश जैन

माता: श्रीमती शोभा जैन

पत्नी: श्रीमती शिखा जैन

जन्म: 29 अप्रैल 1989

शिक्षा: बी.ई. (संगणक विज्ञान अभियांत्रिकी)

एमबीए (इंटरनेशनल बिजनेस)

पीएच.डी- भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ

परिचय बिन्दु

  1. काव्यपथ [प्रथम संस्करण वर्ष 2018 | द्वितीय संस्करण वर्ष 2023 | प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]
  2. वारांगना (व्यथांजलि) [प्रथम संस्करण वर्ष 2020 | द्वितीय संस्करण वर्ष 2024 | प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]
  3. महायात्री [प्रकाशन वर्ष 2023 | प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]
  1. मेरे आँचलिक पत्रकार [प्रथम संस्करण वर्ष 2015]
  2. राष्ट्रभाषा (तर्क और विवेचना) [प्रथम संस्करण वर्ष 2018 | द्वितीय संस्करण वर्ष 2023 | प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]
  3. पत्रकारिता और अपेक्षाएँ [प्रकाशन वर्ष 2021 | प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]
  4. हिन्दी विमर्श [प्रकाशन वर्ष 2024 | प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]
  5. हिन्दी योद्धा डॉ. वेदप्रताप वैदिक [प्रकाशन वर्ष 2024 | प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]

मनय [प्रकाशन वर्ष 2025 | प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]

1. नव त्रिभाषा सूत्र [प्रथम संस्करण वर्ष 2018 | द्वितीय संस्करण वर्ष 2023 |प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]

  1. हिन्दी! आख़िर क्यों? [प्रथम संस्करण वर्ष 2018 | द्वितीय संस्करण वर्ष 2023 |प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]
  2. हिन्दी ग्राम [प्रथम संस्करण वर्ष 2018 | द्वितीय संस्करण वर्ष 2023 |प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन]

1. उर्विजा

  1. मातृभाषा.कॉम
  2. मासिक साहित्य ग्राम पत्रिका
  3. साहित्यकार कोश
  1. राष्ट्रीय अध्यक्ष- मातृभाषा उन्नयन संस्थान
  2. संस्थापक- हिन्दीग्राम
  1. पत्रकार विभूषण अलंकरण -वर्ष 2016 (आईजा, मुंबई)
  2. गणेश शंकर विद्यार्थी श्रेष्ठ पत्रकार सम्मान -वर्ष 2017 (गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब, इंदौर इकाई)
  3. Leaders of Tomorrow Award -वर्ष 2014 (India Mart, Mumbai)
  4. नेशन प्राईड, इंडिया एक्सीलेंस अवार्ड -वर्ष 2018 (प्रतिमा रक्षा मंच, दिल्ली)
  5. क्षितिज भाषा सारथी सम्मान -वर्ष 2021 ( क्षितिज संस्था, इंदौर)
  6. अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार- वर्ष 2020, (साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश शासन)
  7. ‘अक्षर सम्मान’ (वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति) ….. आदि

प्रधान संपादक- खबर हलचल न्यूज ( साप्ताहिक अख़बार)

प्रधान संपादक- के एन आई न्यूज ( न्यूज एजेंसी)

प्रधान संपादक- साहित्य ग्राम (मासिक साहित्यिक पत्रिका )

मुख्य कार्यकारी निदेशक- सेंस टेक्नॉलोजिस

संस्थापक- मातृभाषा.कॉम

संस्थापक- हिन्दीग्राम

संपर्क: +91- 9406653005 | +91-9893877455 

Email:  drarpanjainavichal@gmail.com

Website:  www.arpanjain.com

पता: 204, अनु अपार्टमेंट, 21 -22, शंकर नगर, साकेत नगर, इंदौर, म.प्र. 452018

  1. मातृभाषा. कॉम (भाग 1) – कविता संग्रह
  2. मातृभाषा. कॉम (भाग 2 ) – कविता संग्रह
  3. मातृभाषा. कॉम (भाग 3 ) – कविता संग्रह
  4. मातृभाषा. कॉम (भाग 4 ) – कविता संग्रह
  5. चिट्ठियाँ – पत्र संकलन
  6. गीत गुंजन – गीत संग्रह

+91-9406653005 | +91-9893877455 

Email:  drarpanjainavichal@gmail.com

पता: 204, अनु अपार्टमेंट, 21 -22, शंकर नगर, साकेत नगर, इंदौर,
म.प्र.452018

अर्पण का बचपन, शिक्षा-दीक्षा और कार्य

29 अप्रैल, 1989 को मध्य प्रदेश के सेंधवा में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन से एक पुत्र का जन्म हुआ, जिनका नाम अर्पण रखा गया। अर्पण अपने माता-पिता के दो बच्चों में से सबसे बड़े हैं। उनकी एक छोटी बहन नेहल हैं। उनके पिता सुरेश जैन गृह और सड़क निर्माण का कार्य करते हैं। आपके दादा बाबूलालजी एक राजनैतिक व्यक्तित्व रहे। अर्पण जैन मध्यप्रदेश के धार जिले की छोटी-सी तहसील कुक्षी में पले-बढ़े। आरंभिक शिक्षा कुक्षी के वर्धमान जैन हाईस्कूल और शा. बा. उ. मा. विद्यालय कुक्षी में हासिल की, तथा फिर इंदौर में जाकर राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत एसएटीएम महाविद्यालय से संगणक विज्ञान (कम्प्यूटर साइंस) में बेचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कंप्यूटर साइंस) में स्नातक की पढ़ाई के साथ ही मात्र 150 रुपये लेकर 11 जनवरी, 2010 को ‘सेन्स टेक्नोलॉजीस की शुरुआत की।

अर्पण ने फ़ॉरेन ट्रेड में एमबीए किया, तथा पत्रकारिता के शौक़ के चलते एम.जे. की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। समाचारों की दुनिया ही उनकी असली दुनिया थी, जिसके लिए उन्होंने सॉफ़्टवेयर के व्यापार के साथ ही ख़बर हलचल वेब मीडिया की स्थापना की।
वर्ष 2015 में शिखा जैन से उनका विवाह हुआ। विवाह उपरांत भी तन्मयता से पत्रकारिता और भाषा के सौंदर्य को स्थापित करने के लिए डॉ. अर्पण जैन सतत् संघर्षरत् रहे। डॉ. अर्पण जैन ने कई संस्थाओं के साथ जुड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में भी और अन्य सामाजिक कार्यों और जनहितार्थ आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। पत्रकार संचार परिषद की स्थापना के साथ ही डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ की रणनीति, हिन्दी प्रेम की चारों तरफ़ चर्चा रही है।

डॉ. अर्पण जैन का हिन्दी प्रेम व मातृभाषा

समाचारों की दुनिया से जुड़े होने के कारण डॉ. अर्पण का हिन्दी प्रेम प्रगाड़ होता चला गया, इसी के चलते वर्ष 2016 में उन्होंने मातृभाषा.कॉम की शुरुआत की और फिर तब से लेकर आज तक हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्यरत् रहे। इस दौरान भारत के विभिन्न राज्यों में हिन्दी भाषा के महत्त्व को स्थापित करने के लिए यात्राएँ कीं, जनमानस को हिन्दी से जोड़ा, और वर्ष 2017-18 में मातृभाषा उन्नयन संस्थान और हिन्दी ग्राम की स्थापना की। वर्तमान में हिन्दी के गौरव की स्थापना हेतु व हिन्दी भाषा को राजभाषा से राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए संघर्षरत डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ भारतभर में इकाइयों का गठन करके आंदोलन का सूत्रपात कर रहे हैं, और वे मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं और हिन्दी ग्राम के संस्थापक भी हैं।
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ का ध्येय वाक्य है ‘हिन्दी के सम्मान में, हर भारतीय मैदान में’। इसी को सम्पूर्ण राष्ट्र का समर्थन मिल रहा है। डॉ. अर्पण जैन ‘एक घंटा राष्ट्र को, एक घंटा देह को और एक घंटा हिन्दी को’ जैसा आह्वान भी जनता से कर रहे हैं, जिसे भरपूर समर्थन मिल रहा है।

हस्ताक्षर बदलो अभियान और विश्व कीर्तिमान

अपने ही देश में हिन्दी को स्थापित करने के उद्देश्य से डॉ. अर्पण जैन ने मातृभाषा उन्नयन संस्थान के माध्यम से भारत के 11 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा 11 जनवरी 2020 को विश्व पुस्तक मेला 2020, प्रगति मैदान दिल्ली में विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसी के साथ, हिन्दी प्रचार के लिए सतत् प्रयत्नशील हिन्दी योद्धा डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ को कई सम्मान व पुरस्कारों ने सम्मानित किया जा चुका है।

सैंकड़ो यात्राओं, आयोजनों और पुस्तक लेखन के कारण हिन्दीप्रेमियों के बीच डॉ. अर्पण जैन इसलिए भी चर्चा का विषय हैं क्योंकि उन्होंने हिन्दी में व्याप्त कई विसंगतियों का खुला विरोध भी किया और नवांकुरों एवं स्थापित रचनाकारों के लिए सहज, सुलभ और सर्वस्वीकार्य मंच मातृभाषा.कॉम भी तैयार किया। सैंकड़ो कवि सम्मेलनों का आयोजन कर हिन्दीभाषा को प्रचारित करने में डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ की भूमिका निःसंदेह महनीय है।

रक्तनायक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

रक्त किसी फ़ैक्टी में या मशीन से नहीं बन सकता। रक्त की आपूर्ति केवल मानव द्वारा ही की जा सकती है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की ज़रूरत होती है। लेकिन करीब 75 प्रतिशत रक्त ही उपलब्ध हो पाता है, जिसके कारण लगभग 25 लाख यूनिट ख़ून के अभाव में हर साल हज़ारों मरीज़ों की जान चली जाती है।

इसीलिए भारत में रक्तदाताओं की अत्यधिक आवश्यकता है और हज़ारों लोगों की जान बचाने के लिए आगे आने वाले रक्तदाताओं का महत्त्व है और इसलिए रक्तदान को महादान माना गया है। इसी ध्येय से डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ बतौर रक्तदाता कार्य करते हैं, और अब तक लगभग 40 बार रक्त दान कर चुके हैं। साथ ही, रक्तदान के प्रति जागरुकता लाने के लिए विभिन्न व्याख्यानों, सेमिनार इत्यादि माध्यमों से जनता के बीच कार्य करते हैं। डॉ. अर्पण जैन का कहना है कि ‘मैं प्रत्येक चार माह में रक्तदान करता ही हूँ, आप भी करें। रक्तदान करके बहुत ख़ुशी मिलती है।’ डॉ. अर्पण जैन का मानना है कि रक्त नालियों में बहे, इससे बेहतर है कि रक्त नाड़ियों में बहे। इसीलिए वह रक्तदान के लिए सभी को प्रेरित करते हैं। इसके साथ आप एक समूह से जुड़कर ज़रूरतमंदों के लिए निःस्वार्थ रक्तदाताओं की उपलब्धता भी करवाते हैं। इस मानवसेवा के माध्यम से हज़ारों रक्तदाता भी डॉ. अर्पण जैन से जुड़े हैं।

मानव सेवार्थ सक्रिय डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

कोरोना जैसी विभीषिका के काल में 24 अप्रैल 2021 में इन्दौर से एक प्रकल्प ‘सेवा सर्वोपरि’ की नींव रखी गई। इसके संस्थापक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ हैं। इस प्रकल्प में देश के साहित्य, कवि जगत के साथ-साथ पत्रकार व समाज के सैंकड़ो युवाओं को जोड़ा गया है। 
कोरोना काल के दौरान प्रकल्प के माध्यम से हज़ारों ज़रूरतमन्द परिवारों में राशन किट निःशुल्क वितरित करवाया गया। किन्नरों को राशन, कोरोना सुरक्षा कवच किट इत्यादि का वितरण करवाया गया। फल-सब्ज़ी विक्रेताओं, रिक्शा चालकों, पुलिसकर्मियों, आदि को कोरोना सुरक्षा कवच किट वितरित करवाया गया। साथ ही, देशभर में होने वाली चिकित्सकीय सहायता, आवश्यकताओं इत्यादि के लिए समाधान हेतु ऑनलाइन कॉल सेंटर शुरू किया गया, जिसमें प्रकल्प के माध्यम से ऑक्सीज़न सिलेंडर से लेकर दवाइयाँ, अस्पतालों की जानकारी, इंजेक्शन, प्लाज़्मा, चिकित्सक परामर्श, कच्चा राशन बाँटना, मरीज़ों के परिजनों और पुलिसकर्मियों को पानी की बोतलें बाँटना आदि कार्य लगातार किया गया, इसीलिए इस प्रकल्प के बारे में कहते हैं कि यह प्रकल्प आपदा में उजाला बनकर उभरा है। इसी के साथ मानव सेवार्थ डॉ. अर्पण जैन सदैव सक्रिय रहते हैं, हज़ारों लोगों के साथ जुड़ें डॉ. अर्पण कई बालक-बालिकाओं की शिक्षा और विवाह में भी सहयोगी होते हैं। साथ ही, वृक्षारोपण, प्रकृति आंदोलन आदि समाजसेवा के कार्यों में भी डॉ. जैन सतत जुड़े हुए है।

मातृभाषा के प्रति: मातृभाषा.कॉम के प्रयास हिन्दी को ‘राजभाषा से राष्ट्रभाषा’ बनाने की ओर बहुत ही सार्थक कदम हैं, हिन्दी अभी तक साहित्य के बुनकरों के झोले में कैद-सी थी, जिसे अंतरताना के माध्यम से वैश्विक मंच तक और अंचल के हिन्दीभाषियों तक पहुंचाकर हिन्दी का गौरव स्थापित किया जा रहा हैं।

सफलता का राज: ‘मेहनत इतनी खामोशी से करो, कि सफलता शौर मचा दें’ इसी तथ्य के साथ सतत मेहनत और श्रम किया जाए तो जीवन में असफलता कभी छू भी नहीं सकती ।

भविष्य की योजना: वैसे तो अब संपूर्ण जीवन ही हिन्दी की सेवा में समर्पित कर चुका हूँ तो इसी तारतम्य में हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाना तथा हिन्दी को संपूर्ण राष्ट्र के अभिमान स्वरूप जनभाषा के रूप में स्थापित करवाने में हर संभव गतिशील रहना ही मेरे भविष्य की योजनाओं में शामिल हैं। साथ ही भारत में पत्रकारिता की शुचिता हेतु कार्य करना भी लक्ष्य हैं ।

समाज को संदेश: समाज में निरंतर मानवता की हत्या सारे आम हो रही है, सबसे पहले हम भी मानव बने और बच्चों को मानव बनाएँ । इसके बाद हमेशा ज़िद करो तभी दुनिया बदलने का माद्दा रख पाओगे । क्योंकि ये दुनिया जिद्दी व्यक्तियों ने ही बदली है, बाकी ने उन जिद्दी लोगों का अनुसरण ही किया है । मेहनत का कोई अन्य विकल्प नहीं होता, केवल भाग्य के भरोसे या शार्टकट से कोई सफलता नहीं मिलती।

जीवन यात्रा

29 अप्रैल 1989 को कुक्षी में जन्म


डॉ. अर्पण जैन का जन्म 1989 में कुक्षी के एक सम्पन्न जैन परिवार में श्रीमती शोभा और श्री सुरेश जैन के यहाँ हुआ। आपकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा कुक्षी में ही हुई। स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् महाविद्यालयीन शिक्षा के लिए अर्पण इन्दौर आ गए।

बचपन में बाल स्वयंसेवक के रूप में सरस्वती शिशु मंदिर, श्री वर्धमान जैन हाई स्कूल एवं शासकीय बालक उच्चतर माध्यम विद्यालय में संघ संस्कारों के साथ अध्ययन रत रहे। राष्ट्रभक्तों की जीवनियों से प्रेरित अर्पण भी मातृभूमि की सेवा करने और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने का स्वप्र देखते रहे।
उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की।

डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।

संघ की शाखा में गढ़ा बाल स्वयंसेवक अर्पण


छात्र जीवन में कक्षा 5 से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाना और नमस्ते सदा वत्सले की भावभूमि पर जीवन का बोध तय करने वाले अर्पण जैन गृहक्षेत्र कुक्षी से ही संघ संस्कारों में पल्लवित और पोषित हुए।

परिणाम स्वरूप बाद के वर्षों में श्रद्धेय नवलकिशोर जी शर्मा के नेतृत्व में भोजशाला मुक्ति मोर्चा इत्यादि संघकार्य में सक्रिय रहे।

प्रारंभिक अध्ययन सरस्वती शिशु मंदिर कुक्षी में हुआ, तत्पश्चात् संघ शाखा में अर्पण को तराशने का काम शाखा के मुख्य शिक्षक करते रहे।

वर्तमान में भी संघनिष्ठ स्वयंसेवक रहकर कार्यरत हैं।

छात्रसंघ चुनाव में सक्रियता के साथ पहली बार सचिव निर्वाचित


पारिवारिक पृष्टभूमि राजनीति की होने से विद्यालयीन जीवन से ही छात्र राजनीति का संस्कार मिल गया और श्री वर्धमान जैन हाई स्कूल में हुए छात्रसंघ चुनाव में सक्रियता दर्शाते हुए पहली बार छात्र संघ सचिव निर्वाचित हुए, अर्पण इसके बाद छात्र हितैषी आवाज़ बन गए।

छात्रों के बीच मिलनसारिता ने अर्पण को तात्कालिक राजनैतिक व्यक्तित्व के भी बहुत क़रीब कर दिया।

चूँकि आपके दादा बाबूलाल जी तांतेड़ वरिष्ठ राजनैतिक व सामाजिक व्यक्तित्व रहे हैं, इसका सीधा असर अर्पण पर पड़ा और वाक् कला में दक्षता ने विभिन्न भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं इत्यादि में भी अर्पण को सफलता दिलाई।

जैन स्कूल में छात्रसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए

छात्र राजनीति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता बन विभिन्न संगठनात्मक गतिविधियों में सहभागी बने। साथ ही, श्री वर्धमान जैन हाई स्कूल के छात्रसंघ चुनाव में सहभाग कर छात्र संघ अध्यक्ष के लिए अर्पण जैन निर्वाचित हुए। इसी के साथ, संघ संस्कारों के कारण विद्यालय स्तर पर बहुत से आयोजन कुशलतापूर्वक आयोजित किए।

राष्ट्रहित में चुना पत्रकारिता का मार्ग

पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्र सेवा का निर्णय लेते हुए अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही पत्रकार बनकर समाज की पीड़ा को सत्ता के केंद्र तक पहुँचाने का मार्ग अर्पण ने चुना। दैनिक दोपहर का सामना से अपने पत्रकारीय जीवन का आरम्भ करने वाले अर्पण बाद में कई पत्र-पत्रिकाओं में अपनी सेवा देते रहे, यहाँ तक कि कई दैनिक अख़बारों व चैनलों में बतौर संपादक कार्य किया।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ आरम्भ कर दी सॉफ्टवेयर कम्पनी

कम्प्यूटर साइंस विषय से अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) का अध्ययन करने के साथ ही, 11 जनवरी 2010 को सॉफ्टवेयर कम्पनी 'सेन्स टेक्नोलॉजीस' शुरू कर दी और देश ही नहीं अपितु विदेशी ग्राहकों के साथ कार्य आरम्भ किया। "होनहार बिरवान के होत चिकने पात" लोकोक्ति को चरितार्थ करते हुए सेन्स टेक्नोलॉजीस ने कई सॉफ्टवेयर का निर्माण किया, जिसने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भारत को गौरवान्वित किया।

ख़बर हलचल न्यूज़ का शुभारम्भ

अर्पण जैन में पत्रकारिता के प्रति समर्पण होने के साथ-साथ नई तकनीकी में दक्षता भी रही, इसी जुनून ने 17 जनवरी 2014 को अर्पण ने वेब चैनल 'ख़बर हलचल न्यूज़' प्रारम्भ किया। नई तकनीक व पत्रकारिता में आवारा पूँजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से इस चैनल ने कई क्रान्तिकारी कार्य किया, सैंकड़ों पत्रकार इसी माध्यम से जुड़ते गए। वर्तमान में भी सक्रियता के साथ देश के कई हिस्सों में लोकप्रियता के प्रतिमान गढ़ चुका है। विभिन्न चुनावों का कवरेज, किसानहित में उद्योगपतियों के साथ सीधी लड़ाई, राष्ट्रहित में सक्रियता से कार्य यही ख़बर हलचल न्यूज़ की पहचान रही।

हिन्दी के रचनाकारों के लिए आरम्भ किया मातृभाषा.कॉम

हिन्दी के रचनाकारों के सृजन को इंटरनेट पर स्थायी रखने और लाखों पाठकों तक सहज रूप से उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से अर्पण जैन ने मातृभाषा.कॉम का आरम्भ 11 नवम्बर 2016 को इंदौर से किया। प्रारंभिक दौर में कुछ 50-100 रचनाकार जुड़े किन्तु थोड़े ही समय में हज़ारों रचनाकारों और लाखों पाठकों की पहली पसंद बनकर यह वेबसाइट उभरी। वेबसाइट पर 22 से अधिक विधाओं व 45 से अधिक श्रेणियों में लेखन पढ़ा जा सकता है। इसे कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए हैं।

मातृभाषा उन्नयन संस्थान स्थापना एवं संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'

हिन्दी भाषा के सम्मान, स्वाभिमान और उसे भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में मातृभाषा उन्नयन संस्थान का निर्माण कर डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' ने देश के सबसे सक्रिय हिन्दी आंदोलन का सूत्रपात किया। वर्तमान में 30 लाख से अधिक लोगों ने अपने हस्ताक्षर अन्य भाषा से हिन्दी में बदले हैं। इस आंदोलन के माध्यम से हज़ारों हिन्दीयोद्धाओं का देशभर से जोड़ा जा रहा है। इसके संरक्षक कीतिशेष डॉ. वेदप्रताप वैदिक, कीर्तिशेष अहद प्रकाश जी व वर्तमान में अज्ञेय के चौथा सप्तक के कवि राजकुमार कुम्भज हैं।

हस्ताक्षर बदलो अभियान के माध्यम से बनाया विश्व कीर्तिमान

मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' के नेतृत्व में राष्ट्रव्यापी ‘हस्ताक्षर बदलो अभियान’ संचालित किया जा रहा है, जिसमें वर्तमान में लगभग 30 लाख से अधिक लोगों द्वारा मय प्रतिज्ञा पत्र के द्वारा हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रतिज्ञा ली गई है। इन्हीं लाखों लोगों के अवदान के कारण 11 जनवरी वर्ष 2020 को विश्व पुस्तक मेला 2020 नई दिल्ली में संस्थान को विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इस कीर्तिमान को डॉ. अर्पण जैन व संरक्षक डॉ. वेदप्रताप वैदिक जी ने ग्रहण किया।

वर्ष 2020 का अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मातृभाषा डॉट कॉम के संस्थापक-सम्पादक डॉ. अर्पण जैन ’अविचल’ को रवीन्द्र भवन, भोपाल में साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश शासन द्वारा अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार 2020 प्रदान किया गया। मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, विशिष्ट अतिथि अभिनेता आशुतोष राणा एवं संस्कृति मंत्रालय के संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी ने डॉ. अर्पण जैन को इस पुरस्कार से सम्मानित किया। बता दें कि नारद मुनि पुरस्कार में शासन द्वारा एक लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है। डॉ. अर्पण जैन को यह पुरस्कार मातृभाषा. कॉम के लिए प्राप्त हुआ है। जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी ने किया अक्षर सम्मान से सम्मानित डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान से सम्मानित किया। यह सम्मान संस्कृति विभाग जम्मू कश्मीर, जम्मू कश्मीर कला साहित्य, भाषा अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति श्रीनगर के संयुक्त तत्त्वावधान में दिया गया। टैगोर हॉल श्रीनगर में हुए आयोजन में मुख्य अतिथि कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिघूड़ी (आईएएस) थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में जीवन बीमा निगम के प्रादेशिक प्रबंधक जयंत अरोडा और वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति की अध्यक्ष नसरीन अली निधि मौजूद रहे।

वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान से सम्मानित किया।

डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान से सम्मानित किया। यह सम्मान संस्कृति विभाग जम्मू कश्मीर, जम्मू कश्मीर कला साहित्य, भाषा अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति श्रीनगर के संयुक्त तत्त्वावधान में दिया गया। टैगोर हॉल श्रीनगर में हुए आयोजन में मुख्य अतिथि कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिघूड़ी (आईएएस) थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में जीवन बीमा निगम के प्रादेशिक प्रबंधक जयंत अरोडा और वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति की अध्यक्ष नसरीन अली निधि मौजूद रहे।