जननायक या चुनावी नायक बन गए टंट्या मामा
*डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’*
संपादक, ख़बर हलचल न्यूज़
मध्य प्रदेश की राजनीति की चौसर पर आदिवासियत का बोल बाला हो रहा है। राजनीतिक बिसात पर सभी के सभी मोहरे आजकल यदि एक रट लगा रहे है ‘टंट्या मामा’, ‘हमु आदिवासी’ या ‘हमु काका बाबा ना पोरिया’। इसी बीच आदिवासियों को वोट-बैंक समझने वाली राजनीति आजकल मुसलमानों की तरह केवल वोटबैंक समझ कर आदिवासियों का उपयोग कर रही है।
आज़ादी के बाद से मूलनिवासियों या कहें आदिवासियों के मूलभूत विकास को कमतर रखने वाली राजनीति जब इस समय आदिवासियत का गुणगान कर रही हो तो लगता है कि कहीं न कहीं दाल में काला है।
नब्बे के दशक को याद करें तो मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य खरगोन में कभी राजनीति के सभी दलों ने मिलकर एक जाजम से आदिवासी राज्य (भिलिस्तान) की कल्पना की भूमिका तक रख दी थी, भला हो तात्कालिक मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का अन्यथा आदिवासियों के विकास को अवरुद्ध करके वोट-बैंक की खातिर बलिदान कर दिया जाता ।
बरसों बाद आज राजनीति को फिर से जनजातीय गौरव की याद आई तो अनायास मन में वही पीड़ा जाग गई कि कहीं फिर उसी तरह आदिवासी विकास का गला तो नहीं घोटा जा रहा है?
राजनीति जो करे कम है, वर्तमान मुख्यमंत्री कहीं हर शहर में टंट्यामामा के नाम कुछ पुरानी धरोहरों व चौराहों या कहें शहरों के नामों को करने पर आमादा है, वहीं काबीना मंत्री कमल पटेल तो इससे भी आगे निकलते हुए शिवराज मामा को ही टंट्या मामा का अवतार बताने लग गए।
टंट्या मामा के नाम के ताबीज़ों का मसला ही अलग है पर नामकरण की आपाधापी में कहीं जयस भी अपना राजनैतिक परिचय बनाने की तैयारी में राजनैतिक दल के रूप में गठित हो सकता है। सभी को आदिवासियों की इतनी चिंता है तो पहली से लेकर अभी तक कि सभी पंचवर्षीय योजनाओं के उपरांत भी आज तक बीते सात दशकों में भी आदिवासी शिक्षित और समृद्ध क्यों नहीं हो पाए?
सवाल राजनीति से भी उतना ही है और समाज से भी। आखिर समाज ने भी जनजातीय व्यवस्थाओं को दमन का हिस्सा क्यों बनाया?
समाज अपने ही अंग को भंग क्यों करने में लगा रहा, तब तो राजनीति को याद नहीं आई!
निश्चित तौर पर जिस तरह आज आदिवासी समाज को राजनीति के चश्में से देखा जा रहा है, वह नितांत ग़लत और अति है। समय रहते यदि आदिवासियों को वोट-बैंक के इतर समझ कर विकास की इबारत नहीं लिखी तो यक़ीन जानना आदिवासी छले जाएँगे।
*डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’*
संपादक, ख़बर हलचल न्यूज़