जननायक या चुनावी नायक बन गए टंट्या मामा
जननायक या चुनावी नायक बन गए टंट्या मामा
_पुण्यस्मरण विशेष_ दुःख की गगरी के पार महादेवी वर्मा *डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’* न लिबास कोई गेरुआ, न किसी संत के सम्मुख दीक्षित, लिखा वही जो देखा, रंगों के उत्सव के दिन जन्मी पर ताउम्र एक रंग ही भाया। गद्य भी लिखे, पद्य भी लिखे, प्रेम भी लिखा, विरह भी समझाया, आदि भी लिखा, […]
जन्मदिवस विशेष आसां नहीं है इश्क़ में अमृता हो जाना ‘मैं उस प्यार के गीत लिखूँगी, जो गमले में नहीं उगता, जो सिर्फ़ धरती में उग सकता है।’ ●●● अमृता प्रीतम ==================== 🖊 *डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’* दो किताबें पढ़ीं, ‘मन मिर्ज़ा , तन साहिबा’ और ‘इश्क़ अल्लाह हक़ अल्लाह’, इसके पहले केवल नाम भर […]
शब्द की साधना और हिन्दी पत्रकारिता ◆डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ शब्द-शब्द मिलकर जब ध्येय को स्थापित करते हैं, शब्द-शब्द मिलकर जब राष्ट्र का निर्माण करते हैं, शब्द-शब्द मिलकर जब सत्ता का केंद्र और जन मानस का स्वर बनते हैं, शब्द-शब्द मिलकर जब व्यक्ति से व्यक्तित्व का रास्ता बनाते हैं, तब कहीं जाकर शब्द के […]