राजकुमार कुम्भज डॉ. अर्पण जैन निर्भय होकर हिन्दी के प्रति अपने संकल्प को पूर्ण करें, निर्मल व्यक्तित्व के धनी अर्पण अपनी हिन्दी को देश की सीमाओं के पार विश्व पटल पर पहुँचाएँ। वो हिन्दी का स्वयं सेवक ही नहीं है बल्कि स्वयंसेवक पैदा करने वाला योद्धा है।